Birthday Wishes


मंजू मौसी

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परमीप्रय पूज्य ऊषा जीजी को सादर समर्पित

जीवन मे कल कल करते करवटे लेते कई कल बीत जाते है। कालचक्र निरंतर घूमता ही रहता है।

आज आपनी ऊषा जीजी के जन्मदिवस की 75 वी वर्षगॉँठ के कलकल करते स्वर कानो, में गूँजून से लगे है। हीरक द्युति से चहुँ और फैली आपके व्यक्तित्व की शुरा रश्मियॉँ द्युतिमान हो रही है।

बचपन में बिताए भाई बहनो के बीच खिलीखलाते प्यार और मनुहार भरे भरा भाई बहनो को प्यार देती आपकी छबि माता पिता का मान बढाना, आपका सरल व्यवहार, आतुल्य छटा प्रस्तुत करता रहै।

समय बीता बारी बारी से सभी भाई बहनो का अपना-अपना घर बसाना भी मन से किसी को दूर न कर सका। ससुराल की देहरी में कदम रख एक और फुल बगियॉँ को अपनी गुरा सुगन्ध से महाकने वाली जीजी पति श्री ताराचन्द्र जी की गृहस्थी में एक सुघड गृहिणी एक समर्पित पत्नी एवं एक समर्पित मॉं के रुप में, परिवार के सुख दुख में संघर्ष शीला बन खुशियॉँ बिखेरती रही। प्रवीन, नवीन, अनूप जैसे पृत्र रत्नें का प्रकाश कुल को द्योतित कर पाया यह आपके दिस संस्कारें का ही प्रतिफल है।

जीवन जीने की कला, पर दुख का तर व्यक्तित्व जीवन्त उमंग भरा जीवन एक प्रेरणा स्त्राsत सा दिखता है। अपने इन्ही गुरो के कारण आपने हर

कदम पर संघर्षरत रह घर परिवार एवं समाज मे खुशियॉँ बिखेरी है ।
याद आ रहे हैं वह दिन अपने पीत की बीमारी के समय आठ घंटे तक होन वाले लंबे आपरेशन के बाद साहस से, अपनी अथक सेवा से सावित्री बन पति की पुर्नजन्म देने मे सफल हुई।
अपने मनोबल से सही माने में सहचरी कहलाई ।

समय -समय पर मेरी ऊषा जीजी ने मुझे भी घनी विटप की छाया सी बन दुःख की तपन में शीतलता प्रदान की। अपने इकलोते पुत्र आदित्य का बिछाड जब हमारे परिवार को अन्तस तक दग्ध कर रहा था जीजी का सातवना स्वर उनका साहस और मनोबल, मॉँ सा ममत्व, निर्मल पावन शीतल ऊषा सा साकार रुप इस असह्य दुःख को सहने की शक्ति दे गया

सत्य शिव के प्रतिरिक्त आपके व्यक्तित्व का जीवन्त उमंग मरा सौन्दर्य गुरा की नकारत्मकता को हटा सकारत्मक तरंगे भर जीवन को सुखद बनाता है। आज भी याद आती है आपके परिधानो की खचि आपका आकर्षक रुप जो जीवन में उल्लास का प्रतिरुप है।
आपके आदर्श, आपके गुरा, आज अगर हम अपना पाऍँ तो यह आपकी हीरक जयंती पर दिया आपका अद्भुत उपहार होगा।

प्रायु, किसलय सी महक उठे
सपने ले सुन्दर प्रसंग लाई
सुख सुगन्ध से महकी रहे
जीवन की सुन्दर प्रेमराई
उमर की कलम लिख सके न कभी कुछ
वक्त न छू सके यौवन सी मिठास
सुख, स्वास्थ्य ,सुविधायं पाये
खुशियॉँ मुझे सदा आस पास

कामना यही है प्रभुवर से पग पग उत्कर्ष तुम्हारा हो
सुख का सौरभ मकरन्द लिये, वय का हर वर्ष तुम्हारा हो
जन्म दिवस की शुभ बेला मे है यही कामना हमारी
जीवन ज्योति निखर दिन प्रतिदिन, शतवषी हो जिन्दगी तुम्हारी

प्रसंख्य हार्दिक शुभकामना सीहत

आपकी प्रिय बहन
मंजू

सुषमा मौसी

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।। ॐ ।।

प्रिय ऊषा बहन जी

दैव ने प्रेम से बनाया था तुमको,
फिर भी उसे लगा जैसे कमी कोई रह गई है।
साल भर सोचने विचारने के बाद,
रच कर मुझे उसने भेज दिया जगत में।
एक साथ खेले हम पढे और हुए बडे,
एक दुसरे से लगाव भी बहुत था।
स्वभाव की तुम शान्त थी, मै बडी चंचल चपल,
तुम थी अनुशासन बंधी, मै निरंकुश निश फिकर,
तुम न लडती न लगडती, न किसी से तर्क करती,
न ही सखियो को बुलाती, न किसी के घर ही जाती,
मगर मैं विपरीत थी।
गलत बातें को न सहती, सहेलियें से घिरी रहती
नकल करती और चिढाती, खुद भी हॅँसती और हॅँसाती
स्वभाव था उल्टा मगर हम चाहते थे साथ रहना,
विधी की बरसी कृपा तुम भी आ बसी मुम्बई में।
लगा बचपन लौट आया।
आज तुज हो पचहत्तर मैं चौहत्तर की हुई
बडी बूढी बनकर हम तुम घिरे हैं परिवार से ।
फिर भी जब मिलते हम दोनें बीता बचपन लौट आया
ऊषा की सुषमा का सौरभ, खिलखिलाता मुस्कुराता ।
सुषमा मौसी

Shashi Mami

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पूज्य बुआजी

सादर प्रणाम

आपको जन्मदिन की बहुत बहुत शुभकामनाये भगवान करे आपके जीवन में खूब खुशियॉ बरी रहैं और आपका जीवन सूरज की तरह चमकता रहे
आपके जीवन से हम को बहुत कुछ सीखने को मिलता है

शशी अग्रवाल

माधुरी

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।। राधे राधे ।।

प्रिय ऊषा,

सप्रेम स्मरण

रिश्ते बनते हैं, ऊपर से
मित्रता होती हैं, धरती पर।

रिश्ता एक गुलदस्ता है, जिसे
सवांरने का रास रखना होता है
मित्रता एक उपवन है जहॉँ
स्वेच्छा निश्चिन्त विचरण होता है ।

दोस्ती हा हाथ थामने के
लिए कोटिश स्नेह सदभाव

तुम्हारी
माधुरी

मधु-विजय

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मेरी प्यारी बुआ

देखते ही देखते समय पंख लगा कर उड गया आपने जीवन के 75 वर्ष कब पार कर लिये पता ही नहीं लगा। मंगल मय प्रभु से प्रार्थना है, कि आपके आने वाले वर्ष खूब सुखी हो आपको सम्पूर्ण परिवार का स्नेह और आदर प्राप्त हो, ठाकुर जी के चरणो में अनन्य प्रेम और भक्ती हो।

जन्मदिन को इस शुभ आवसर पर हम दोनें का प्रणाम स्वीकार करें।

आपकी कृपाकांक्षी मधु-विजय