सुलोचना जगदीश




श्री“
पुज्य भाभीजी

“चरण स्पर्स प्रणाम”`
आपके जीवन के स्वर्णमय पचहत्तर बसंत आपको मुबारक हो आपसे मुझे हमेशा प्रेरणा ही मिली है, आपके रुप में मुझे एक अच्छी दोस्त मिले तथा बडी बहन का प्यार मिला आप जीवन में हमेशा अडिग अचल रही है| हमेशा दिव्य जीवन जीया है| परमात्मा से प्रार्थना है आपका जीवन हमेशा दिव्य रहे. स्वस्थ रहे!

ओस की बूंदो से नहाई हुई है “उषा”
पंछियें की चहचहाट में मुस्करा रही है “उषा”
फूलो के पराग में भवरें कि गुजंन में है “उषा”
जो हर हाल में मुस्कराये उसी का नाम है “उषा”

सुलोचना जगदीश

 

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